क्यों न एक नए दौर का आगाज़ मिलकर अब करें। क्यों न एक नए दौर का आगाज़ मिलकर अब करें।
हरियाली से मैदानों का, ये देश है मेरे किसानों काI हरियाली से मैदानों का, ये देश है मेरे किसानों काI
'बाप के होटल' में खा रहे हो इस ताने से उकता गया है वो 'बाप के होटल' में खा रहे हो इस ताने से उकता गया है वो
मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर मुकेश बिस्सा श्री कन्हैया कुंज,4 नवखुनिया, गांधी कॉलोनी,जैसलमेर
ठहरी रही नजर तेरे दीदार को पर सजा मुकर्रर तुमने कर ही दिया, ठहरी रही नजर तेरे दीदार को पर सजा मुकर्रर तुमने कर ही दिया,